क्यों नहीं करवा रहे पंचायत व नगरीय चुनाव, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा दो हफ्ते में जवाब

पांच साल का कार्यकाल पूर्ण होने के पहले पंचायत व नगरीय चुनाव करवाए जाने के संवैधानिक नियमों को हवाला देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने चुनाव करवाने के संबंध में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता महिला कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर व अन्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि संविधान की अनुच्छेद 243 ई में प्रावधान है कि पांच साल का कार्यकाल पूर्ण होने से पहले पंचायत चुनाव करवाए जाएं। इसी प्रकार 243 यू में प्रावधान है कि पांच साल का कार्यकाल पूर्ण होने से पहले पंचायत चुनाव करवाए जाने चाहिए। विशेष परिस्थितियों में ही कार्यकाल में बढ़ोतरी की जाती है। याचिका में कहा गया था कि चुनाव पांच साल के कार्यकाल में रिक्त समय अवधि के लिए करवाए जाते हैं।
याचिका में कहा गया था कि साल 2019 में पंचायत व नगरीय चुनाव के कार्यकाल पूर्ण हो गया था। इसके बावजूद भी अभी तक चुनाव नहीं करवाए गए हैं। याचिका में मांग की गई थी कि चुनाव समय अनुसार करवाए जाएं इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित की जाए। इसके अलावा चुनाव में रोटेशन प्रकिया का पालन किए जाने की मांग की गई थी।

पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग की तरफ से पेश किए गए जवाब में बताया गया कि पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव करवाए जाने के संबंध में उनकी की तरफ सरकार को कई पत्र लिखे गए हैं। कोरोना संक्रमण के कारण सरकार द्वारा चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं की गई है। याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया। युगलपीठ ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय प्रदान किया है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने पैरवी की। 

कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर ने कहा कि मध्य प्रदेश में दो सालों से लोकल बॉडी इलेक्शन नहीं हो पा रहे थे। इसे लेकर मैंने जून में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस बात को समझा कि चुनाव में देरी सरकार की तरफ से हो रही है। इस पर सरकार से जवाब मांगा है कि क्यों चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। ठाकुर ने बताया कि जब बात विधानसभी चुनावों की होती है और तीन-तीन उपचुनाव भी हो चुके, पर जब बात इन चुनावों की आती है तो कोरोना की बात कर पीछे हट जाते हैं। हमने कोर्ट में इन सारी चीजों को रखा, कोर्ट ने हमारी बातों को समझा और सरकार से जवाब तलब किया है। चुनाव 2019 में हो जाने थे, फिर इतनी देरी क्यों। 

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