कोलारस - शिवपुरी के बड़े बड़े रसूखदार नेताओ को नगर पालिका चुनाव से बड़ी सीख लेने की आवश्यकता है अपनी योग्यता और क्षमताओं को सही तरह से कैसे राजनीतिक जगत में प्रदर्शित किया जाता है ये वर्तमान नेताओं को सीखना चाहिए।
साथ ही उच्च पदों पर आसीन नेताओं को भी इस चुनाव से सीख लेनी होगी कि हम अपनी टोली में जिन समर्थकों और कार्यकर्ताओं को जगह दे रहे है वे जनता से किस हद तक जुड़े है या केवल शीर्ष नेतृत्व के सामने जयकारे लगाने में माहिर है।
राजनीति को समाजसेवा न समझकर वर्तमान नेता जो ग्लैमर के लिए सफेदपोश धारण कर चुके है उनकी कभी न कभी कलई खुलती है वही शिवपुरी के नगर पालिका चुनाव में हुआ ।
महल की प्रतिष्ठा और पार्टी के आदेश को मानते हुए वार्ड 26 की पार्षद प्रत्याशी सरोज रामजी व्यास ने पर्याप्त बहुमत होते हुए भी न केवल अध्य्क्ष पद को छोड़ा वरन समाज की प्रतिष्ठा को भी वरकरार रखा जब देर रात कैविनेट मंत्री रामजी व्यास के निवास पर पहुची तो उन्होने संगठन के निर्णय को मानते हुए अपना सब कुछ अर्पण कर दिया कोलारस जैसी छोटी सी जगह पर प्रतिष्ठित व्यास परिवार में जन्मे रामजी व्यास ने छात्र जीवन मे ग्वालियर राजनीति में अपना झंडा गाड़ दिया था इसी समय वे बड़े नेताओं के नजदीक आ गये थे आर्थिक तंगी के कारण उन्हें ग्वालियर से वापस आना पड़ा।
ग्वालियर से आने के बाद महज 28 साल की उम्र में कोलारस के दिग्गज नेता स्वर्गीय चिंतामणि जैन के सामने नगर पंचायत का चुनाव विना धनबल के चंदा करके लड़ा और यहां भी बराबर पार्षद आने के बाद पर्चियां डालने सबको विवश कर दिया दूसरे चुनाव में अपने छोटे भाई ओमप्रकाश व्यास को निर्विरोध पार्षद, उपाध्यक्ष और जिला सरकार सदस्य बनाकर अपना जनमत और लोकप्रियता सिध्द की इस बार शिवपुरी चुनाव में अपनी पत्नी सरोज व्यास को पूरी शिवपुरी के दिग्गज नेताओं के विरोध के बाद भी पार्षद बनाकर अध्य्क्ष के लिए पूरी सजावट कर दी थी लेकिन मतदान से एक दिन पूर्व ही पार्टी का निर्णय मानते हुए और संगठन की मर्यादा बनाये रखने के लिए ,महल और समाज की प्रतिष्ठा को बचाते हुए नगर पालिका अध्य्क्ष की कुर्शी को त्याग कर उपाध्यक्ष पद स्वीकार किया चुकी कोलारस में रामजी व्यास जन्मे थे और यहाँ की माटी और लोगों से उनका हमेसा पारिवारिक लगाव रहा है इसी के चलते कोलारस के हर घर उन्हें बधाई देने वालो का तातां लगा हुआ है।
आज पूरे शिवपुरी शहर में उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा की चर्चाएं सुनी जा सकती है वर्तमान राजनीतिक बड़े चेहरों को इस अपराजेय योद्धा से बड़े सबक लेने की आवश्यक्ता है।
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