कोलारस - रविवार को शरद पूर्णिमा सभी जगह मनाई जायेगी जिस प्रकार भक्तों के लिये सबसे प्रिय दिन जन्माष्टमी होता है उसी तरह भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय दिन शरद पूर्णिमा माना जाता है इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपी रूपी संतो, देवताओं के साथ श्रीधाम वृन्दावन के निधिवन में रास रचाया था रास ईष्वर से भक्तों के मिलन का महापर्व है इस कारण भगवान श्रीकृष्ण को शरद पूर्णिमा सबसे प्रिय बताई गई है शरद पूर्णिमा श्रीधाम वृन्दावन से लेकर समूचे देष भर में रविवार को मनाई जायेगी इस दिन मंदिरों से लेकर वैष्णव सम्प्रदाय के लोग खीर का भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में बांटते है एवं स्वयं भी ग्रहण करते है।
शरदपूर्णिमा पर अश्विनी कुमारों के साथ यानी अश्विनीनक्षत्र में चन्द्रमा पूर्ण १६ कलाओं से युक्त होता है। चन्द्रमा की ऐसी स्थिति साल में एक बार ही बनती है। वहीं ग्रन्थों के अनुसार अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं। इस रात चन्द्रमा के साथ अश्विनी कुमारों को भी खीर का भोग लगाना चाहिए। चन्द्रमा की चाँदनी में #खीर रखना चाहिए और अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना चाहिए कि हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ाएं। जो भी इन्द्रियां शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करें। ऐसी प्रार्थना करने के बाद फिर वह खीर खाना चाहिए।
शरदपूर्णिमा पर बनाई जाने वाली खीर मात्र एक व्यंजन नहीं होती है ग्रन्थों के अनुसार ये एक दिव्य औषधि होती है इस खीर को गाय के दूध और गंगाजल के साथ ही अन्य पूर्ण सात्विक चीजों के साथ बनाना चाहिए अगर संभव हो तो ये खीर चांदी के बर्तन में बनाएं इसे गाय के दूध में चावल डालकर ही बनाएं ग्रन्थों में चावल को हविष्य अन्न यानी देवताओं का भोजन बताया गया है।
महालक्ष्मी भी चावल से प्रसन्न होती हैं इसके साथ ही केसर, गाय का घी और अन्य तरह के सूखे मेवों का उपयोग भी इस खीर में करना चाहिए संभव हो तो इसे चन्द्रमा की रोशनी में ही बनाना चाहिए।
चन्द्रमा मन और जल का कारक ग्रह माना गया है चन्द्रमा की घटती और बढ़ती अवस्था से ही मानसिक और शारीरिक उतार-चढ़ाव आते हैं अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर केजलीय अंश, सप्तधातुएं और सप्त रंग पर भी चन्द्रमा का विशेष सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शरद_पूर्णिमा की रात में सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने की भी परंपरा है। इसके पीछे कारण ये है कि सूई में धागा डालने की कोशिश में चन्द्रमा की ओर एकटक देखना पड़ता है। जिससे चन्द्रमा की सीधी रोशनी आँखों में पड़ती है। इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है।
शरद_पूर्णिमा पर चन्द्रमा को अर्घ्य देने से अस्थमा या दमा रोगियों की तकलीफ कम हो जाती है।
शरद_पूर्णिमा के चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है।
शरद_पूर्णिमा की चाँदनी का महत्त्व ज्यादा है, इस रात चन्द्रमा की रोशनी में चांदी के बर्तन में रखी खीर का सेवन करने से हर तरह की शारीरिक परेशानियाँ दूर हो जाती हैं।
इन दिनों में काम वासना से बचने की कोशिश करनी चाहिए। उपवास, व्रत तथा सत्संग करने से तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि प्रखर होती है।
शरद_पूर्णिमा की रात में तामसिक भोजन और हर तरह के नशे से बचना चाहिए। चन्द्रमा मन का स्वामी होता है इसलिए नशा करने से नकारात्मकता और निराशा बढ़ जाती है।
जयजयश्री_राधे
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