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निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा छात्रों एवं पालकों को निर्धारित दुकानों से ही किताबों से लेकर अन्य सामग्री खरीदने के लिये बाध्य नहीं कर सकते - कलेक्टर शिवपुरी - Shivpuri

शिवपुरी - शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी के द्वारा जारी किए आदेश के अनुसार पालकों, विभिन्न संगठनों एवं समाचार पत्रों आदि के माध्यम से यह बिन्दु संझान में ला लाया गया है कि शिवपुरी जिले के निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा छात्रों एवं पालकों को निर्धारित दुकानों से ही यूनिफॉर्म, जूते, टाई, किताबें, कॉपियां आदि खरीदने के लिये बाध्य किया जाता है, जबकि मितव्ययी, गुणवत्तापूर्ण एवं सर्वसुलभ शिक्षा व्यवस्था का निर्माण लोक कल्याणकारी प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक है।

कथित रूप से स्कूल संचालकों व व्यवसायियों की सांठ-गांठ से इस प्रकार के से कृत्य विद्यार्थियों तथा उनके पालकों में रोष व्याप्त हो रहा है, साथ ही गरीब वर्ग के पालकों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। यह तथ्य भी संज्ञान में आया है कि निजी विद्यालयों के संचालक स्टेशनरी, यूनिफॉर्म आदि के विक्रेताओं से सांठ-गांठ कर पालकों का शोषण करते आ रहे हैं। विद्यालय के संचालक विक्रेताओं से छात्र संख्या के आधार पर कमीशन तय करते हैं, जो व्यापारी अधिक
कमीशन देता है, उसको अधिकृत कर उसी दुकान से सामग्री क्रय करने हेतु बाध्य किया जाता है।

इसके दुष्परिमाणस्वरूप सामग्री एक तो महंगी होती है तथा कोई यदि कोई पालक कक्षा के पूरे सेट न खरीदते हुए केवल कुछ कॉपी किताबें खरीदना चाहे तो उसे केवल उतनी कॉपी किताबें न देते हुए पूरा सेट खरीदने हेतु इसलिये बाध्य किया जाता है क्योंकि विक्रेता द्वारा पूरे सेट के आधार पर ही स्कूल संचालक को कथित रूप से कमीशन तय किया जाता है। कई बार सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो पाठ्यक्रम से संबंधित ही नही है, जैसे डिक्शनरी, एटलस, आर्ट बुक, क्राफ्ट बुक, ड्राईंग बुक, वाटर कलर्स आदि का भी समावेश कर दिया जाता है।

संचालकों द्वारा बनाये गये एकाधिकार को खत्म करने तथा विभिन्न माध्यमों से प्राप्त सुझावों से मुझे यह समाधान हो गया है कि शिवपुरी जिले के सभी निजी विद्यालयों द्वारा की जा रही इस एकाधिकार प्रवृत्ति से लोक प्रशांति, विक्षुब्ध न हो तथा इसका निवारण अत्यन्त वांछनीय होने से इसे रोकने हेतु कार्यवाही किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है। साथ ही विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुझे यह भी समाधान हो गया है कि चूंकि अधिकांश निजी विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। अत: विनियमन की कार्यवाही तत्काल की जाना है।

अत: “मैं, रवीन्द्र कुमार चौधरी, कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी, जिला शिवपुरी" दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144(1) (2) के तहत स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को समाप्त करने हेतु निम्नानुसार निर्देश जारी करता हॅू :-

1. स्कूल संचालक/प्राचार्य स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिये अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व ही अपने स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड करेंगे एवं विद्यालयीन सार्वजिक सूचना पटल/स्थान पर चस्पा करेंगे। मान्यता नियमों के अंतर्गत स्कूल की स्वयं की वेबसाइट होना अनिवार्य है। स्कूल के प्राचार्य/संचालक पुस्तकों की सूची की एक प्रति प्रवेशित अभिभावकों को प्रवेश के समय एवं परीक्षा परिमाण के समय आवश्यक रूप से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।

स्कूल संचालक/प्राचार्य विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय करने हेतु बाध्य नही करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून 2023 तक क्रय कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारंभ होने वाले शैक्षाणिक सत्र में प्रथम तीस दिवस की अवधि 01 अप्रेल 2023 से 30 अप्रेल 2023 तक के मध्य का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन, व्यवहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जावेगा। स्कूल जिस नियामक बोर्ड यथा सी.बी.एस.ई./आई.सी.एस.ई./एम.पी.बी.एस.ई./माध्यमिक शिक्षा मण्डल आदि से संबद्ध है, उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अंतर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिकरूप से अधिकृत एजेसीं यथा एन.सी.आर.टी.ई., म.प्र.पाठ्यपुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों/मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रतिबंधित करेंगे।

स्कूल संचालक/प्राचार्य सुनिश्चित करेंगे कि उक्त के अतिरिक्त अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों / मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें क्रय करने हेतु बाध्य नही किया जावेगा। स्कूल संचालक/प्राचार्य द्वारा विद्यार्थियों / अभिभावकों को पुस्तकें, कॉपियां, सम्पूर्ण यूनिफॉर्म आदि संबंधित स्कूल/संस्था अथवा किसी भी एक दुकान/विक्रेता/ संस्था विशेष से क्रय किये जाने हेतु बाध्य नहीं किया जावेगा । स्कूल संचालक/प्राचार्य/पालक शिक्षक संघ (पी.टी.एम.) सुनिश्चित करेंगे कि पुस्तकों के निजी प्रकाशक/मुद्रक/विक्रेता स्कूल परिसर में प्रचार प्रसार हेतु किसी भी स्थिति में प्रवेश नही करें । स्कूल संचालक/प्राचार्य/विक्रेता द्वारा पुस्तकों के सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यक्रम से संबंधित ही नहीं है का समावेश सेट में नहीं किया जावेगा। कोई भी विक्रेता किसी भी कक्षा के पूरे सेट को क्रय करने की बाध्यता नहीं रखेगा, यदि किसी विद्यार्थी के पास पुरानी पुस्तकें उपलब्ध हैं तो उसको केवल उसकी आवश्यकता की पुस्तकें ही विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराई जावेंगी। नोट बुक, कॉपी पर ग्रेड किस्म, साईज, मूल्य, पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिये।

किसी भी पुस्तक, नोट बुक, कॉपी अथवा इन पर चढ़ाये जाने वाले कवर पर विद्यालय का नाम मुद्रित नहीं किया जावेगा। कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफॉर्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे, ब्लेजर / स्वेटर इसके अतिरिक्त होगा। विद्यालय प्रशासन द्वारा यूनिफॉर्म का निर्धारण इस प्रकार किया जा सकेगा कि कम से कम 03 वर्ष तक इसमें परिवर्तन नहीं हो । विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा अन्य किसी आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्याथियों / पालकों को क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जावेगा। जिन विषयों के संबंध में नियमाक संस्था के द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित / मुद्रित नहीं की गई है उस विषय से संबंधित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने के पूर्व स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे कि उक्त पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो जिससे कि लोक प्रशांति
भंग होने की संभावना हो।

चूंकि यह आदेश आम जनता के महत्व का है तथा आम जनता को संबोधित है। जिसकी व्यक्तिश: सूचना दी जाना संभव नहीं होने से दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 1973 की धारा 144(2) के तहत एक पक्षीय पारित किया जाता है। कोई भी व्यक्ति इस संबंध में अपनी आपत्ति/आवेदन दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 (5) के तहत मुझे प्रस्तुत कर सकेगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा तथा इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति/संस्था/आयोजक के विरूद्ध भारतीय दंड विधान 1860 की धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही की जा सकेगी। विद्यालय द्वारा उक्त आदेशों की अवहेलना किये जाने पर संबंधित विद्यालय के संचालक/प्राचार्य के साथ ही शाला प्रबंधक / बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के समस्त सदस्य भी दोषी होंगे। यह आदेश जिला शिवपुरी की राजस्व सीमाक्षेत्र में दिनांक 13.04.2023 से लागू रहेगा। जिले के समस्त विद्यालय अपने नोटिस बोर्ड पर उक्त सूचना चस्पा करें। विद्यालय के प्राचार्य उक्त आदेश की जानकारी प्रबंधन की प्रथम बैठक में संविस्तार रखना सुनिश्चित करें। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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