♦️ भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में कौन सी भावनाएँ बाधा बनती हैं?
▪️आसक्ति (मैं और मेरा की भावना)
▪️भय (डर का भाव होना, इच्छित वस्तुओं के न मिलने का डर)
▪️क्रोध (आसक्ति और भय क्रोध को जन्म देते हैं। इच्छाएँ पूरी न होने पर मनुष्य हताश हो जाता है, और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण से न सोचने के कारण क्रोधित हो जाता है।)
♦️ उपरोक्त तीनों का अत्याधिक होना श्रीकृष्ण भक्ति और उनकी प्राप्ति में बाधक है।
♦️ इन अवस्थाओं से निकलने के लिए प्रयास करके इन्हें सीमित करने की कोशिश करनी चाहिए।
♦️ और प्रामाणिक गुरु की शरण ग्रहण करके गुरु के निर्देशन में भगवद् भक्ति का विधि-विधानों से पालन करना चाहिए।
🙇🏻♀️🙏📿🪔🕉
♦️ श्रीगुरु और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से शीघ्र ही हम भावभक्ति की अवस्था तक पहुँच सकते हैं, जो कि ईश्वरीय प्रेम कहलाता है।
♦️ भावभक्ति या प्रेमभक्ति या कृष्णभावनामृत सभी प्रकार की भक्तिमय सेवा की परिकाष्ठा है।
♦️ हम सभी को वहाँ तक पहुँचना है।
~ श्रीमद् भगवद् गीता 📙🙏
गुरुदेव श्रील प्रभुपाद की जय 🙏🪔
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