संकीर्तन - निष्ठा और शुद्ध हृदय से कि हुई प्रार्थना आपको सच्चे संयोग से मिलवा देती है।प्रार्थना हमेशा एक अच्छे भाव से होनी चाहिए। कभी भी अपने स्वार्थ के लिए या किसी ऐसी चीज के लिए प्रार्थना नहीं करनी चाहिए जो दूसरों को नुकसान पहुंचा सके। अंतत: इससे आपको ही नुकसान होगा। जब आप सभी की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं, तो आपकी गिनती भी उन सभी में हो जाती हैं।हम कहते है भगवान हमारी बात नही सुनते,किंतु सोचें हम उन्हे अपनी बात सुनाते ही कहां है? दुसरे को अपनी बात सुनाने के लिए हमे एकाग्र और विचलित होना पड़ता है किंतु परमात्मा को सुनाने के लिए हम कहां विचलित होते है?कोई अपना दूर हो तो हम उससे मिलने के लिए कितने विचलित हो जाते है ?क्या वही बैचेनी हमे भगवान को पाने में भी मिलती है?लोग मुझ से भगवान का कॉन्टैक्ट नंबर मांगते है।तो भगवान का कॉन्टैक्ट नंबर नित्य कोई नेक कार्य और नाम जप की जरूरत होती है।पढ़िए सुंदर कथा।
:एक पुजारी और नाईं दोनों मित्र थे। नाईं हमेशा पुजारी से कहता है ।"ईश्वर ऐसा क्यों करता है, वैसा क्यों करता है ? यहाँ बाढ़ आ गई, वहाँ सूखा हो गया, यहाँ दुर्घटना हुई, यहाँ भुखमरी चल रही है, नौकरी नहीं मिल रहीं। हमेशा लोगों को ऐसी बहुत सारी परेशानियां देता रहता है।"
उस पुजारी ने उसे एक आदमी से मिलाया जो भिखारी था, बाल बहुत बड़े थे, दाढ़ी भी बहुत बड़ी थी।उसने नाईं को कहा - "देखो इस इंसान को जिसके बाल बड़े हैं, दाढ़ी भी बहुत बढ़ गयी है।
तुम नाईं हो तुम्हारे होते हुए ऐसा क्यों है ?" नाईं बोला - "अरे उसने मेरे से संपर्क ही नहीं किया।" पुजारी ने भी बताया यही तो बात है जो लोग ईश्वर से संपर्क करते हैं उनका दुःख खत्म हो जाता है।
लोग संपर्क ही नहीं करते और कहते हैं हम दुःखी हैं ।" जो संपर्क करेगा वो दुःख से मुक्त हो जाएगा।"ईश्वर से सम्पर्क करने का नम्बर केवल परोपकार और भगवद जप है।नित्यप्रति कोई नेक कार्य करो,परमात्मा के प्रति सच्ची श्रद्धा रखो और उनका किसी भी रूप में स्मरण करते रहो।जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।