कोलारस के मोहराई में मिलावटी डालडा से बना हलवा खाने से 400 से भी अधिक लोग हुए बीमार - Kolaras

कोलारस - कोलारस पुलिस थाना क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले ग्राम मोहराई में धार्मिक प्रोग्राम में रविवार की शाम मंदिर पर नकली घी यानि डालडा से बने हलवा खाने से करीब 400 से अधिक गांव के बच्चे बूढ़े लोगों को उल्टी दस्त जैसी बीमारी ने एकाएक घेर लिया और करीब 30 मिनट के अंदर 400 से भी अधिक लोग बीमारी का शिकार हो गए घटना की सूचना मिलने पर ग्राम पंचायत मोहराई के सरपंच शिखर धाकड़ एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम ग्राम पंचायत मोहराई पहुंची और हलवा खाने से बीमार हुए करीब 400 से भी अधिक ग्रामीण लोगों को राहत के रूप में प्राथमिक उपचार प्रारंभ किया जिससे काफी लोगों को लाभ भी मिला।
कोलारस में प्रसाद खाने से 400 से ज़्यादा लोग बीमार

शिवपुरी जिले के कोलारस तहसील के ग्राम मोहराई में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान प्रसाद खाने से 400 से ज़्यादा लोग बीमार हो गए हैं। यह घटना रविवार को हुई, जब गांव में आयोजित एक भंडारे में लोगों ने हलवा का प्रसाद खाया प्रसाद खाने के कुछ समय बाद ही लोगों को पेट दर्द, उल्टी और दस्त की शिकायत होने लगी। देखते ही देखते, बीमार होने वालों की संख्या बढ़ती गई, जिससे गांव में हड़कंप मच गया।
स्थानीय प्रशासन को सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची। बीमार लोगों को तुरंत इलाज मुहैया कराया गया। कई लोगों को कोलारस और शिवपुरी के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि सभी की हालत स्थिर है और इलाज चल रहा है। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है कि आखिर प्रसाद में क्या मिला था जिससे इतने लोग बीमार हुए। खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने प्रसाद के नमूने लेकर जांच के लिए भेज दिए हैं। इस घटना के बाद से गांव में दहशत का माहौल है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें और शांत रहें।
कोलारस एसडीएम अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि ग्राम मोहराई में नकली घी खाने से बीमार हुए ग्रामीण जनों की शिकायत मिलने पर मैं स्वयं स्वास्थ विभाग की टीम को लेकर ग्राम मोहराई पहुंचा और वहां जाकर देखा की अनेक लोग हलवा खाने से बीमार हुए थे सभी बीमार लोगों के उपचार हेतु स्वास्थ्य विभाग की टीम निरंतर कार्य कर रही है जो की रात भर ग्राम मोहराई में मौजूद रहेगी इसके अलावा मैंने घी की पैकिंग को देखा तो उसमें लिखा हुआ था कि यह घी खाने योग्य नहीं है केवल पूजा के उपयोग हेतु।

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