दश्वे दिन का व्रत आत्म कल्याण के लिए - मुनिश्री मंगलसागर - Kolaras



कोलारस चन्दप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर                        

कोलारस - चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर पर मुनि श्री 108 मंगलसागर महाराज ने अपने प्रवचनों में कहाँ दशलक्षण पर्व जैन धर्म का त्यौहार है जिसे आत्मा की शुद्धि और आत्म सुधार पर केंद्रित किया जाता है इन दस दिनों में जैन अनुयायी दस उत्तम गुणो का पालन करते है उत्तम क्षा , उत्तम मार्दव , उत्तम आर्जन , उत्तम शौच , उत्तम सत्य , उत्तम संयम , उत्तम तप , उत्तम त्याग , उत्तम आकिचन्द और उत्तम व्रह्मचर्य इस पर्व का इंद्रियों को वश में किया जाकर राग - द्रेष से मुक्त होकर आंतरिक पवित्रता प्राप्त कर मोझ मार्ग की ओर बढना है । 

संयम और शुद्धता का गुण है । मुनि श्री कहाँ विवाहित लेने पर अपने साथी के प्रति निष्ठवान रहना व्रह्मचर्य है यह आत्म नियंत्रण का अभ्यास है जो इंद्रियों का नियंत्रण और भोग विलास से दूर रहने पर जोर देता है जो सिद्धान्त हमें संयमित और आत्म के मार्ग पर चलने का संदेश देता है हम अपने जीवन को मानसिक , भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संयमित रखे एवं इंद्रियों को नियंत्रित करै जब व्यक्ति दोषों सें मुक्त होता है इसके वाद जीव कर्मो के वंधन से मुक्त होकर सिद्ध अवस्था में पहुंचता है । अविवाहित को भी ब्रह्मचर्य , इंद्रिय संयम और शुद्धता का गुण रखना अनवार्य है ।

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