करवा चौथ का व्रत नियम-संयम से करने पर पति की लंबी आयु, परिवार में सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, जिससे वैवाहिक जीवन खुशहाल बनता है. इस व्रत में सुबह जल्दी उठकर स्नान करने, सोलह श्रृंगार करने, भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और चंद्र देवता की पूजा करने और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए करवा चौथ का चांद करीब 08:30 बजे तक दिखाई दे सकता है।
व्रत के नियम और परंपराएँ
सुबह की शुरुआत: सुबह उठकर स्नान करें और सरगी (सास द्वारा दी गई चीजें) का सेवन करें.
संकल्प और सोलह श्रृंगार: इसके बाद व्रत का संकल्प लें और सोलह श्रृंगार करें.
पूजा: भगवान शिव, पार्वती, गणेश और चंद्रमा की पूजा करें.
कथा श्रवण: व्रत कथा सुनना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
निर्जला व्रत: यह निर्जला व्रत होता है, जिसमें अन्न और जल का त्याग किया जाता है.
अशुभ कार्य: व्रत के दिन नुकीली वस्तुओं जैसे सुई-चाकू का उपयोग न करें और किसी की बुराई करने या झगड़ा करने से बचें. काले या भूरे रंग के कपड़े पहनने से बचें, लाल रंग शुभ होता है.
दान: श्रद्धा अनुसार सुहाग की वस्तुएं और अन्न का दान करना शुभ होता है.
व्रत का पारण: शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है.
व्रत का महत्व
पति की लंबी आयु: यह व्रत पति की लंबी आयु और आरोग्य के लिए रखा जाता है.
सुख-समृद्धि: विवाहित महिलाओं को घर में सुख-शांति और समृद्धि मिलती है.
अखंड सौभाग्य: यह व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है.
वैवाहिक जीवन: इससे पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है और वैवाहिक जीवन खुशहाल बनता है.