रिजर्व बैंक ने नोटंबदी से जुड़े अंतिम आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि विमुद्रित मुद्रा में से 10,700 करोड़ रुपये वापस बैंक में नहीं लौटे. इन आंकड़ों के आधार पर साफ है कि इन रुपयों के अलावा देश में मौजूद पूरा कालाधन एक बार फिर बैंकिंग में प्रवेश कर चुका है, लेकिन इसके साथ ही नोटबंदी से इन फायदों पर भी सवाल खड़ा हो गया है। देश में नोटबंदी लागू हुए 1 साल 9 महीने का समय बीत चुका है यानी आर्थिक वर्ष के मुताबिक 7 तिमाहियां. इन सात तिमाहियों के दौरान केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के 8 नवंबर 2016 को लिए गए नोटबंदी के फैसले पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आई. जहां केन्द्र सरकार अपने दावे कि नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा फायदा मिलने वाला है पर डटी रही, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलीजुली प्रतिक्रिया के साथ कुछ संस्थाओं ने तीखी आलोचना भी की. इन सात तिमाहियों के दौरान नोटबंदी के वास्तविक आंकड़े केन्द्रीय रिजर्व बैंक के एकत्र होते रहे और रिजर्व बैंक विमुद्रित की गई करेंसी की गिनती करती रही।अब रिजर्व बैंक ने नोटंबदी से जुड़े अंतिम आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि विमुद्रित मुद्रा में से 10,700 करोड़ रुपये वापस बैंकिंग प्रणाली में नहीं लौटे हैं. इस धनराशि की जानकारी आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के आधार पर, आठ नवंबर, 2016 को घोषित नोटबंदी से पूर्व चलन में रहे विमुद्रित नोटों की 15.42 लाख करोड़ रुपये की राशि में से वापस बैंकिंग प्रणाली में लौटी 15.31 लाख करोड़ रुपये की राशि को घटाने के बाद सामने आई है।