नई दिल्ली- देश की पहली
बुलेट ट्रेन अगस्त 2022 में गुजरात के सूरत से बिलिमोरा (50 किलोमीटर) के बीच शुरू हो सकती है। मोदी सरकार ने अहमदाबाद से मुंबई के बीच (508 किलोमीटर) बुलेट ट्रेन आजादी की 75वीं वर्षगांठ (15 अगस्त 2022) पर शुरू करने की योजना बनाई थी। इसमें ज्यादा वक्त लग रहा है। पूरे कॉरिडोर पर बुलेट ट्रेन 2023 तक चलने का अनुमान है। ऐसे में अब आजादी की वर्षगांठ पर इसका एक हिस्सा शुरू करने पर फोकस किया जा रहा है।न्यूज एजेंसी के मुताबिक, बुलेट ट्रेन निर्माण से जुड़ी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अफसरों ने बताया, "प्रोजेक्ट में न केवल भूमि अधिग्रहण की वजह से देरी हो रही है बल्कि प्रोसेस और प्लानिंग में भी देरी हुई। इन्हीं के चलते प्रोजेक्ट एक साल लेट हो गया। कॉरिडोर के लिए 1434 हेक्टेयर जमीन अधिकृत की जानी है, जिसमें से 353 हेक्टेयर महाराष्ट्र से होगी। इसे गुजरात के 195 और महाराष्ट्र के 104 गांवों में 7 हजार हिस्सों में बांटा जाएगा। 508 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर में 8 जिले गुजरात के, 3 जिले महाराष्ट्र के और दादरा और नगर हवेली का एक छोटा हिस्सा शामिल है। लेकिन अभी तक सिर्फ 0.9 हेक्टेयर जमीन ही अथॉरिटी को सौंपी गई है।
एक्सीडेंट रोकने के लिए ऑटोमेटिक ट्रैक बिछेगा : रेलवे ने देश में पहली बार मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के रूट पर ऑटोमेटिक ट्रैक बिछाने का फैसला किया है। ऑटोमेटिक ट्रैक से टूटी पटरियों का आसानी से पता लगाया जा सकता है। रेलवे इस योजना से यात्रा को सुरक्षित बनाने का प्रयास कर रहा है।
भूकंप के वक्त बेपटरी नहीं होगी ट्रेन- नेशनल हाई स्पीड रेलवे कॉर्पोरेशन ने बताया, "बुलेट ट्रैन में आग का पता लगाने वाला एडवांस सिस्टम भी होगा। यह सिस्टम भूकंप के वक्त बुलेट ट्रेन को बेपटरी होने से भी बचाएगा। यात्रा के दौरान एक बोगी से दूसरी बोगी तक आग को फैलने से रोकने के लिए खिसकाने वाले दरवाजे लगाए जाएंगे। साथ ही हर बोगी में आग बुझाने के भी पर्याप्त साधन होंगे। सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम अहम है।
तकनीक से कर्मचारियों की मेहनत होगी कम- रेलवे के मुताबिक, "इस सिस्टम में इलेक्ट्रिकल कंट्रोल सर्किट का इस्तेमाल होगा। सर्किट द्वारा टूटी पटरियों की जानकारी कंट्रोल रूम तक अपने आप ही पहुंच जाएगी। इस तकनीक से सैकड़ों कर्मजारियों की मेहनत कम हो जाएगी, जो रोजाना ट्रैक के निरीक्षण का काम करते हैं।