पाकिस्तान में आम चुनाव के बाद मंगलवार को राष्ट्रपति पद के चुनाव कराए जाएंगे. पाक प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी, तहरीक-ए-इंसाफ की ओर से डॉक्टर आरीफ अल्वी उम्मीदवार हैं. वहीं पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज- PML-N) ने भी मैदान में उम्मीदवार उतार रखे हैं. पीपीपी की ओर से ऐतजाज अहसन और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान चुनाव मैदान में हैं।हालांकि पाकिस्तान में विपक्षी दलों का मानना है कि अगर वह पीटीआई के प्रत्याशी को हराना चाहते हैं तो उन्हें एकजुट होना होगा. ऐसी कोशिश लगातार जारी है. PML-N ने रविवार को अपील भी कि 'संयुक्त' विपक्ष के प्रत्याशी मौलाना फजलुर रहमान के समर्थन में पीपीपी अपना प्रत्याशी हटा ले. वहीं संभावना है कि पीपीपी के नेता सोमवार नवाज शरीफ से मिल कर इस पर चर्चा करें. सोमवार को शरीफ, नेशनल एकाउंटबिलिटी कोर्ट में पेशी के लिए आंगे। पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार 'डॉन' के अनुसार पीपीपी के नेता ने बताया, 'पीपीपी का भी यही मानना है कि अगर विपक्ष के दो प्रत्याशी होंगे तो पीटीआई को फायदा होग. आसिफ अली जरदारी को उम्मीद है कि आखिर में एहसान (PPP के प्रत्याशी) संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार होंगे.' दूसरी ओर शहबाज शरीफ के बेटे हमजा शरीफ ने कहा, 'फजलुर रहमान संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी होंगे. हम पीपीपी समेत सभी को एक साथ लाने की कोशिश करेंगे।पाकिस्तान के राष्ट्रपति का चयन सांसदों और चार प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है.उम्मीदवारों की अंतिम सूची 30 अगस्त को जारी की गई. मतदान चार सितंबर को संसद और प्रांतीय विधानसभाओं में होगा।आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल इमरान की पीटीआई के प्रत्याशी का राष्ट्रपति चुनाव जीतना तय माना जा रहा है. पीटीआई के कुल 251 प्रतिनिधि हैं. पीपीपी के कुल 116 और PML-N के 144 प्रतिनिधि हैं. 706 वोटों के इलेक्टरल कालिज में पीटीआई सबसे ज्यादा मजबूत है. अगर पीटीआई को बलूचिस्तान आवाम पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग, आवामी मुस्लिम लीग, ग्रैड डेमोक्रेटिक अलाइंस, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी, बीएनबी-आवामी और जम्हूरी वतन पार्टी का भी साथ मिल जाए तो यह आंकड़ा 314 तक पहुंच जाएगा।वहीं पीपीपी और PML-N की बात करें तो इन दोनों दलों के कुल 260 वोट ही हैं. हालांकि इन्हें अगर मुत्ताहिद मजलिस-ए-अमला, आवामी नेशनल पार्टी, पख्तूनवा मिल्ली आवामी पार्टी और नेशनल पार्टी का साथ मिले तो इनके वोट की संख्या 321 पहुंच जाएगी. 321 वोट के बाद भी विपक्षी गठबंधन को मुत्ताहिद कौमी मूवमेंट (MQM) के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
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नई दिल्ली