हरीश भार्गव - शील कुमार यादव कोलारस-कोलारस परगने के अंतर्गत आने बाले ग्राम बामौर की कहानी किसी से छिपी नही है क्योकि बामौर में गिटटी निकालने के नाम पर कानून की किस तरह धज्जियां उडाई जाती है उसे बामौर में एक दिन या रात गुजारने पर ही पता चल सकता है। कि के्रशर संचालको ने प्रशासन से सांठ गंाठ करके लीज के नाम पर वन, राजस्व एवं निजी भूमि तक को अबैध उत्खनन करके बुरी तरह बर्वाद कर दिया है। इतना ही नही बामौर के लोग नर्क की तरह जीवन जीने को मजबूर है। यदि गांव के लोगो की स्वास्थ्य जांच कराली जाये तो आधे से ज्यादा लोग धूल के कारण बीमारी से जूझ रहे है। रात के समय पत्थर निकालने के लिए होने बाली अबैध ब्लास्टिंग से गांव के मकान ही नही बल्कि शासकीय भवन भी क्षतिग्रस्त हो चुके है। इसके अलावा एबी रोड से लेकर ग्राम बामौर तक की सडक को अबैध रूप से एक रॉयल्टी के नाम पर 3-3 बार चक्कर लगाने बाले ऑवर लोड डम्परो ने ग्राम बामौर की सडक को ही लील लिया है। जिसके चलते ग्राम बामौर के लोगो ने अबैध रूप से निकलने बाले डम्परो का रास्ता बंद करके रोड डालने की मांग के्रशर संचालको से की है किन्तु सडक डालने में भी क्रेशर संचालक मनमानी कर रहे है जबकि स्वयं से लेकर प्रशासन को हर महिने लाखो रूपया बांटने बाले क्रेशर संचालको को गांव के लोगो के प्रति न तो सडक के कार्य मे कोई रूचि है और न ही ब्लास्टिंग के कारण बर्बाद होने बाले मकानो से लेकर धूल के कारण बीमारी से जूझने बाले गांव बालो की क्रेशर संचालको से लेकर प्रशासन एवं जन प्रतिनिधि किसी को कोई फिकर नही है।
नेताओ के स्टोन क्रेशर से निकल रही डस्ट से बीमार हो रहे ग्रामीण, शिकायत के बाद भी नहीं की प्रशासन ने कोई कार्रवाई
कोलारस क्षेत्र के ग्राम बामौर में स्टोन क्रेशर चलाई जा रही है जिससे वहां के रहवासियों को क्रेशर के कारण काफी समस्यायों का सामना करना पड रहा है। कई बार ग्रामीणों द्वारा क्रेशर को अन्य जगह लगाए जाने के लिए ग्रामीण छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन प्रशासन कार्रवाई न करते हुए आंखे बंद किए हुए बैठा है। जानकारी के मुताबिक यहां नियमों को तांक पर रखकर स्टोन क्रेशर चलाई जा रही है। वहीं बताया जा रहा है क्रेशर से उडऩे वाली धूल से ग्रामीण बीमार हो रहे हैं। इस धूल से ग्रामीणों के हाथ-पैर छिलने लगे हैं साथ ही सांस की बीमारी से परेशान हो रहे हैं। कई ग्रामीणों को टीवी जैसी बीमारी भी होने लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई तो पूरा गांव भयंकर बीमारी की ग्रस्त में जाएगा। ग्रामीणों ने कई बार आवेदन क्रेशन स्टोर नहीं लगाने के लिए दिए लेकिन धनबल व नेतागिरी के चलते परमीशन दे दी गई अब यहां दिन भर धूल उड़ती है जिससे रहवासियों को परेशनी हो रही है और वह बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं। नेताजी सरकार की दम पर कई गलत कामों को आगाज दे रहे है। ओवरलोड ट्रक ट्रांसपोर्ट करते है जिससे प्रधानमंत्री सडक योजना के अंतर्गत बनाई गई रोडो को मिट्टी में मिला दिया है।
प्रधानमंत्री सडक की खस्ता हालत गारंटी पीरेड में उखडी कैलधार मार्ग की सडक
कोलारस-केन्द्र सरकार द्वारा गांवो को सडको से जोडने के लिए पहले ज्यादा संख्या बाले गांवो को मुख्य मार्गो से जोडा गया उसके बाद क्रमश: कम संख्या बाले गांवो को सडको से जोडने का क्रम जारी है। इसी क्रम में पिछले वर्ष ग्राम टुडयावद से कैलधार, नारायणपुरा तक डाली गई प्रधानमंत्री योजना की सडक गारंटी पीरेड 5 साल पूरे करना तो दूर की बात है पांच माह के अंदर ही सडक में दरारे इतनी पड गई कि तेज स्पीड में वाईक, ट्रैक्टर, कार चलाने पर किसी भी समय दुर्घटना घटित हो सकती है। कोलारस परगने के अंतर्गत डाली जाने बाली प्रधानमंत्री सडक योजना की रोडो की हम बात करें तो जिलाधीकारी से सांठ गांठ करके ठेकेदारो से पेटी पर सडक डालने का काम लेने बाले क्रेशर के मुनीमो को सडक डालने का न तो अनुभव है और न ही गुणवत्ता की कोई जानकारी जिलाधीकारी से लेकर ठेकेदार एवं पेटी पर काम लेने बाले फर्जी ठेकेदार का कमीशन जोडकर प्रधानमंत्री सडक में 50 प्रतिशत तक बटोना होने के कारण मात्र 50 प्रतिशत राशि ही सडको के निर्माण पर खर्च की जा रही है। सडको की घटिया हालत को देखने के लिए या जांच करने के लिए किसी के पास न तो समय है और न ही जांच की गांरटी क्योकि कमीशन खोरी के खेल में जब ऊपर से लेकर नीचे तक सभी शामिल है फिर भला गुणवत्ता एवं जांच करे तो करे कौन। गांव के भोले भाले लोग घटिया निर्माण की शिकायत जन सुनवाई में तहसील, जिला तक करने के बाद शान्त बैठ जाते है।