तंगहाल जीवन, बेरोजगारी, समाज की उपेक्षा ने ली विवाहिता हेमा की जान



कोलारस-कोलारस नगर की पुरानी बस्ती व्यास मोहल्ला में निवास करने बाले पण्डा परिवार की बहु का शनिवार की सुबह कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार के दौरान दुखद निधन हो गया। अल्प आयु में हुई विवाहित हेमा की मौत पण्डा परिवार ही नही बल्कि समूचे ब्राहा्रण समाज को सोचने के लिए मजबूर कर गई है। कि एक दूसरे की मदद न करने के कारण आर्थिक तंगी, बेरोजगारी एवं उपचार के अभाव में एक विवाहित महिला की दुखद मौत हो गई। मृतिका हेमा पण्डा की मौत का मुख्य कारण समय पर उपचार न मिलना है यदि परिवार एवं समाज के लोग समय रहते इस परिवार की ओर ध्यान देते और समय पर हेमा को उपचार मिला जाता तो शायद हेमा की जान बचाई जा सकती थी। जिस प्रकार हेमा की मौत के बाद समाज के लोग खानापूर्ति के लिए मुक्तिधाम तक शव की विदा करने पहुंचे इस प्रकार यदि कस्वाथाना राजस्थान में जिस प्रकार ब्राहा्रण एक-दूसरे की मदद हर समय करते है वह कहानी यदि कोलारस में दोहराई जाये तो अभी तक हुई बेरोजगारी, इलाज के अभाव में मौतो को सच्चे रूप में श्रद्घांजली होगी। हकीकत में हेमा की मौत कोलारस ही नही समूचे ब्राहा्रण समाज के मुंह पर एक तरह से तमाचा मारने का कार्य किया है। क्योकि जिस प्रकार समाज के लोग चुनाव के समय समूचे समाज के वोट बैंक का ठेका ले लेते है एवं शादी विवाह तथा मौत के बाद जिस प्रकार लोग एकत्रित होते है यदि उसी तरह लोग कस्वाथाना राजस्थान, गुना मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के ब्राहा्रणो की तरह एक जुट होकर बीमारी, शिक्षा, बेरोजगारी से पीडित लोगो की मदद करे तो समाज का सही मायने में एकजुट होने का लाभ हो। एक कहावत है कि दुख में जो साथ दे वही सच्चा हमदर्द है, शादी विवाह एवं मांगलिक कार्यक्रमो में शामिल होने तो किन्नर भी आ जाते है। यदि समाज के लोग इस कहावत से कुछ सवक ले तो सच्चे अर्थ में समाज की एक जुटता का लाभ है। मरने के बाद अंतिम यात्रा में शामिल होने, शादी विवाह के कार्यक्रम में शामिल होने से समाज का हित होने बाला नही है। समाज की एकजुटता का सच्चे मायने में अर्थ वही है जब परेशानी एवं दुख की घडी में समाज के लोग पीडित की मदद करें। 

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