सिंधिया हुए दिल्ली रवाना लेंगे मंत्री पद की शपथ

 सिंधिया हुए दिल्ली रवाना लेंगे मंत्री पद की शपथ
केंद्रीय कैबिनेट में विस्तार (Modi Cabinet Expansion) की अटकलों के बीच राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है. माना जा रहा है कि मोदी कैबिनेट में इसी हफ्ते बड़ा बदलाव (Modi Cabinet Reshuffle) हो सकता है, ऐसे में हर किसी की नज़र इस पर है कि किसे केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने का मौका मिलता है. राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, महाराष्ट्र में पार्टी के बड़े नेता नारायण राणे, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को नई दिल्ली तलब किया. इनके केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने की अटकलें तेज़ हो गई हैं. इसी बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया महाकाल के दरबार पहुंचे. 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट के विस्तार की चर्चाओं के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी सुर्खियों में है। जानकारी के मुताबिक ज्योतिरादित्य का मंत्री बनना तय है और वे अपने पिता माधवराव की तरह केंद्रीय कैबिनेट में रेल मंत्रालय संभाल सकते हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली से बुलावा आने पर ज्योतिरादित्य अपना एमपी दौरा बीच में ही खत्म कर राजधानी लौट रहे हैं।

साल 2002 में पहली बार सांसद बने ज्योतिरादित्य ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद की थी। 18 सितंबर, 2001 को माधवराव की एक हवाई हादसे में मृत्यु हो गई थी। तब वे गुना से लोकसभा सांसद थे। ज्योतिरादित्य ने इसी सीट से पहली बार चुनाव लड़ा और फरवरी 2002 में साढ़े चार लाख से ज्यादा वोटों से चुने गए।

कम ही लोगों को पता है कि सांसद बनने से पहले ज्योतिरादित्य एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे। दरअसल, बड़े महाराज के नाम से मशहूर माधवराव सिंधिया अपने बेटे की पढ़ाई-लिखाई और करियर को लेकर चिंतित रहा करते थे। वे चाहते थे कि उनके बेटे के साथ राजा-महाराजाओं की तरह व्यवहार न हो। ज्योतिरादित्य के बचपन से ही बड़े महाराज ने इसका खास ध्यान रखा और उन्हें आम युवकों की तरह शिक्षा-दीक्षा और नौकरी करने के लिए प्रेरित किया।

माधवराव ने अपने बेटे को दून स्कूल में पढ़ने को भेजा था। उन्हें लगता था कि सिंधिया स्कूल ग्वालियर में उनके बेटे को ज्यादा लाड़-प्यार मिलेगा। स्कूली शिक्षा पूरी होने पर वे ज्योतिरादित्य को अपने साथ दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज और इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लेकर गए। ऑक्सफोर्ड में ज्योतिरादित्य का एडमिशन नहीं हो सका तो अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में उनका एडमिशन कराया।

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