कोलारस - शनिवार 10 सितम्बर से 25 सितम्बर तक कनागत यानि की पितृों को प्रसन्न करने के दिन है परिवार में जो भी पूर्वज जिस तिथि के दिन ब्राह्रालीन हुये थे उस दिन उनके नाम से भोग लगाकर ब्राह्राण एवं गरीबों को भोजन कराने से पितृ होते है प्रसन्न वैसे तो परम्परा अनुसार 16 दिन तक प्रतिदिन सुबह के समय पितृों को जलाषय किनारे डाव से पानी देकर दोपहर के समय पितृों को भोग लगाने के बाद दोपहर के समय ब्राह्राण, निर्धन, गाय, कुत्ता, कऊआ, कन्या को हो सके तो कनागत के 16 दिन तक प्रतिदिन भोजन कराना चाहिऐं।
उक्त जानकारी देते हुये पण्डित नवल किषोर शास्त्री दतिया वालों ने बताया कि -
दिनांक 10 सितम्बर 2022. शनिवार .. पूर्णिमा पुण्य महालय श्राद्धपक्ष प्रारम्भ पूर्णिमा $ प्रतिपदा का
श्राद्ध आज है निर्णय सागर पंचांग अनुसार -
दिनांक 11 सितम्बर २०२२ रविवार- प्रतिपदा एवं द्वितीया का श्राद्ध भुबन विजय पंचांगानुसार दिनांक 12 सितम्बर 2022 ष्सोमवारष् तृतीया, का श्राद्ध दिनांक 13 सितम्बर - 2022 मंगळवार गणेश चतुर्थी एवं चतुर्थी का श्राद्ध दिनांक 14 सितम्बर 2022. बुधवार को पंचमी का श्राद्ध दिनांक 15 सितम्बर 2022 गुरुवार को चन्द्र षष्ठी व्रत एवं
षष्ठी का श्राद्ध दिनांक 16 सितम्बर 2022 के शुक्रवार को सप्तमी का श्राद्ध ऋषि केशपंचांग में इस दिन श्राद्ध नहीं दिया है अतरू पूर्व दिशा आयोध्या वाराणसी बिहार के लोग आज सप्तमी का श्राद्ध न मनाए। वह सप्तमी का श्राद्ध 17 सितंबर को मनाएं दिनांक 17 सितम्बर 2022 शनिवार को निर्णय सागर भुवन विजय में आज कोई श्राद्ध दिवस नही दिया है अतरू आज कोई श्राद्ध नहीं है।
महालक्ष्मी पूजन है-
दिनांक (तिथि) अष्टमी श्राद्ध दिनांक 18 सितम्बर 2022 रविवार दिनांक 19 सितम्बर 2022 सोमवार नवमी श्राद्ध आज के दिन विशेष सौभाग्यवती स्त्रीयो के लिए किया जाता है।
विशेष पति के रहते जो स्वर्ग पधारी है-
दिनांक 20 सितम्बर 2022 मंगलवार को दशमी श्राद्ध दिनांक 21 सितम्बर 2022 बुधवार को एकादशी श्राद्ध एकादशी आज के दिन श्राद्ध न करे अपितु श्राद्ध के लिए भोजन बनाकर गौमाताको खिलाए या फिर ब्राह्मण को निमन्त्रित करके फलाहार करवाए दूसरे दिन द्वादशी को भोजन कराए। एकादशी जो श्राद्ध में भोजन कराना उचित नहीं है दिनांक २२ सितम्बर 2022 गुरुवार को द्वादशी का श्राद्ध आज विशेष सन्यासियो के लिए श्राद्ध किया जाता है जिनके पूर्वजों संन्यास लिया हो वह आज के दिन श्राद्ध करे दिनांक २३ सितम्बर २०२२ शुक्रवार को त्रयोदशी का श्राद्ध दिनांक 24सितम्बर 2022 शनिवार को मास चतुदर्शी व्रत एवं चतुर्दशी श्राद्ध आज के दिन विशेष आत्म हत्या, अग्नी से जले, धार वालें हत्यार, बंदूक ,एक्सीडेंट ,अकाल मृत्यु वालो का श्राद्ध होता है दिनांक 25 सितम्बर 2022 रविवार को देव पितृ कार्य सभी पितृ देवो की अमावस्या है।
पितृ कौन है -
पिता, पितामह (दादाजी), प्रापितामह(परदादाजी)
माताजी, पितामही (दादी)
प्रपितामही (परदादी)
द्वितीय गोत्र मतलव आपके मामा का गोत्र।।
उसमें नाना जी ,परनानाजी, वृद्ध परनाना जी।
इसी प्रकार नानी जी, परनानी जी, वृद्ध परनानी जी ओर भी रहते हे भाई, बहन , चाचा ,ताऊ आदि विशेष उपर जिनके नाम दिए हे वह हर शुभ कार्य में पूजनीय है।।
श्राद्ध में ११ विशेष जानकारी -
1- श्राद्ध दिवस की तिथि जो दोपहर 12 बजे के बाद लगती है वही मान्य है जो तिथि दोपहर बाद नही है वह श्राद्ध में उपयोगी नही है।
२-श्राद्ध में शुद्ध सात्विक भोजन ही ग्राह्म हे।
लहसुन प्याज आदि तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। श्राद्ध में अलग नमक (रामरस) न लें।
३-श्राद्ध में भोजन स्नान करेंके ही वनाए विना स्नान किया हुआ भोजन पितृ ग्रहण नहीं करते अपितु श्राप दे जातें हे।।
४ श्राद्ध में बनाएं हुए भोजन को भगवान को तुलसी डालकर भोग अवश्य लगाएं ।।
५-तुलसी एवं भगवान को भोग लगा हुआ प्रसाद पितृ देवो को अधिक प्रिय हे।।
६-जो लोग श्राद्ध नहीं करतें उनके पितर उनका खून पीते हे एवं श्राप देते हे जिससे विवाह, संतान,धन,नोकरी, व्योपार आदि में बधाए आती हे।।
७-सभी को अपने पूर्वजों की तिथि पर ही श्राद्ध करना चाहिए।
८-श्राद्ध में किसी के घर से दूध सब्जी दही श्राद्ध में उपयोगी सामग्री किसी से मांग कर न लाएं।अमुक समग्री देदो आज हमारे यहां श्राद्ध हे।।इसलिए एक दिन पहले ही सारी समग्री जुटा लें ।।
९- श्राद्ध के दिन नाखून काटना वाल काटना दाडी वनाना मदिरापान मांस भक्षण आदि कार्य श्राद्ध में वर्जित वताया गया पितृ देवो के निमित्त कार्य में मुंडन करना वर्जित नहीं हे।।
१० श्राद्ध दिनों में पितृ देवो के निमित्त श्रीमद्भागवत, श्रीमद्भगवद्गीता, गायत्री,पितृ गायत्री, स्वयं करें या फिर योग्य ब्राह्मण द्वारा करवाए या अपने पुरोहित जी से करवाएं।
नारायण वलि, पितृ देवो के लिए गया जी में श्राद्ध पिण्ड दान , आदि कार्यों को करने से परिवार में आपकी कुंडली में बने पितृदोष से शांति मिलती हे एवं विवाह,विकास,नोकरी, व्यवसाय, संतान की प्राप्ति होती हे एवं गृहक्लेश नहीं होता।।
११-कोशिश ए करनी चाहिए की पूरा परिवार मिलकर (एकात्रित होकर) पितृ देवो के निमित्त कोई भी कार्य करें तो पितृदेव अधिक प्रशन्न होते है।