अब हिन्दी भाषा में होगी मेडीकल की पढ़ाई
शिवपुरी - हिंदी भाषा के माध्यम से मेडिकल की पढ़ाई का शुभारंभ 16 अक्टूबर को भारत के प्रथम राज्य के रूप में मध्यप्रदेश में गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा किया जा रहा है। इस विचार की पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव में भारत की संस्कृति को उच्च कोटि तक पहुंचाने पर विशेष आभार व्यक्त किया गया। मातृभाषा के माध्यम से विद्यार्थियों का पढ़ना और सीखना अब चिकित्सा शिक्षार्थियों के लिए सरल और सुगम हो जाएगा। हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति चरक संहिता भी संस्कृत में उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के भारत भवन में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित हिंदी की व्यापकता एक विमर्श कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि मुझे लगा कि हिंदी में मेडिकल पाठ्यक्रम के शुभारंभ के पूर्व हिंदी के बारे में व्यापक विमर्श करना चाहिए। मुझे प्रसन्नता है कि इस विमर्श में आज पूरा भोपाल बैठा है। समाज का हर वर्ग बैठा है हमारे चिकित्सक मित्र, अस्पताल और मेडिकल कॉलेज संचालक भी बैठे हैं उन्होंने कहा कि हम व्यवहारिक नहीं होेंगे तो फेल हो जाएंगे जो शब्द चलन में हैं उन्हें उसी प्रकार चलने दो अगर हम हर एक शब्द का हिंदी में अनुवाद कहीं से ढूंढकर लाएंगे तो लोग समझ ही नहीं पाएंगे इसलिए चालू शब्द को चलने देना है।
सीएम ने कहा कि मुझे ज्यादा कुछ कहना नहीं है। क्योंकि हमें करना है। सीएम ने कहा मैं मानता हूं कि हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई के रूप में भोपाल से नए युग का प्रारंभ हो रहा है। आज आपसे बात करके बहुत आनंदित इसलिए हूं कि यह चीज नीचे तक जाना चाहिए। यही इसका उद्देश्य है। यह भाव नीचे तक जाएगा और दृढ़मूल होगा।
सीएम ने कहा कि मैं कई देशों की यूनिवर्सिटी में हिंदी में भाषण देकर आया। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि जब मैं हिंदी में भाषण देता था तो मुझे इज्जत और सम्मान के साथ देखा जाता था। सीएम ने कहा कि यह एक सामाजिक क्रांति है। गरीब से गरीब का बेटा भी अब मेडिकल की पढ़ाई के बारे में सोच सकेगा। कुछ भी असंभव नहीं है। जब मैंने घोषणा की थी तो कुछ लोग मुंह पीछे कर के हंस रहे थे लेकिन अब हमने कर के दिखा दिया है।
शासकीय स्नातक महाविद्यालय करैरा में हिंदी विमर्श संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें पूर्व विधायक और राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के अध्यक्ष जसवंत जाटव अतिथि के रुप में उपस्थित रहे। इस संगोष्ठी में उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए और हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।
पीके यूनिवर्सिटी में भी हुआ कार्यक्रम का आयोजन
मेडिकल का हिंदी पाठ्यक्रम गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में हिंदी वार रूम “मंदार” के नाम से तैयार किया है। इस कार्यक्रम में निजी विश्वविद्यालय के प्रथम सोपान में पी.के. विश्वविद्यालय शिवपुरी म.प्र. भी मेडिकल की शिक्षा में नई योजना के अंतर्गत तैयार करने की अपनी पहल शुरू कर चुका है। जिसके लिए एक संगोष्ठी के माध्यम से सभी जन नागरिक एवं छात्र छात्राओं को अवगत कराया गया कि अब इंजीनियरिंग, कृषि के साथ-साथ विशेष क्षेत्र मेडिकल में भी शिक्षा का माध्यम हिंदी से तैयार होने जा रहा है अब हिंदी माध्यम से मेडिकल का पूरा पाठ्यक्रम, पुस्तक, कक्षाऐं, प्रयोगशाला हिंदी मातृभाषा में पढ़ाई जाएंगी।
इस संगोष्ठी में पी.के. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.डॉ रंजीत सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि अध्ययन के हर क्षेत्र में हिंदी भाषा में अध्ययन प्रारंभ हो चुका है पर अब चिकित्सा की पढ़ाई भी हिंदी माध्यम से प्रारंभ होने से छात्र-छात्राओं के लिए यह बहुत लाभदायक सिद्ध होगी। अब अध्ययन करने में भाषा छात्र छात्राओं के लिए व्यवधान नहीं बनेगी।
इसी अवसर पर जितेन्द्र मिश्रा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अध्ययन के लिए हिंदी एक सशक्त माध्यम बनेगा और चिकित्सा के क्षेत्र में हिंदी भाषा से हमारे विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल बनेगा। इसी क्रम में कुलसचिव महोदय ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में हिंदी विद्यार्थियों को नव चेतना और आविष्कार को नई दिशा प्रदान करेगा। जो कि मध्य प्रदेश में पी.के. विश्वविद्यालय शिवपुरी के ग्रामीण क्षेत्र के होनहार छात्राओं के लिए हिंदी में चिकित्सा की शिक्षा प्रारंभ होने के विषय में प्रसन्नता जाहिर करते हुए सभी को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ.महालक्ष्मी जौहरी ने किया
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