पिछोर विधानसभा में जब से केपी सिंह विधायक बने है तब से प्रदेश में किसी भी दल की सरकार क्यों न बनी हो पिछोर से विधायक का चुनाव केपी सिंह जीतते आये है जीत का अंतर भले ही कभी कम तो कभी ज्यादा रहा हो किन्तु जीत केपी सिंह एवं कांग्रेस की रही है इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के गढ़ को खत्म कर जीतने की योजना बना रही थी भाजपा इसी बीच कोलारस से प्रारम्भ हुये दो समाजों के मतभेद के चलते दोनो समाजों के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाकर चुनाव जीतने की मंशा पाले हुये थे लेकिन कोलारस विधानसभा के ग्राम खरैह में उत्पन्न हुये समाजिक विवाद का असर भाजपा के उम्मीदवारों को कोलारस से लेकर पिछोर एवं प्रदेश की कई विधानसभाओं में समाज का बोट बैंक एक दूसरे के विपरीत दिखाई दे रहा है जिसका नुकसान दो समाज के प्रत्याशियों को कई सीटों पर झेलना पड़ सकता है इसी बीज पिछोर विधानसभा में भी एक समाज का बोट कांग्रेस के खाते में जा सकता है जिससे पिछोर में कांग्रेस 2023 में भी बढ़त बनाती हुई दिखाई दे रही है।
पिछोर विधानसभा में दो समाजों के विवाद का लाभ 2023 के चुनावों में कांग्रेस को मिलने की सम्भावना - Shivpuri
शिवपुरी - विधानसभा चुनाव 2023 में एक वर्ष से भी कम का समय शेष बचा है सत्ताधारी दलों से लेकर नेताओं एवं आम लोगो की जुवान पर विधानसभा चुनाव की चर्चाऐं सुनने को जगह - जगह मिल जायेंगी विधानसभा चुनाव में किस विधानसभा में किस दल की क्या स्थिति रहेगी इसी को लेकर हमारे द्वारा नेताओं से लेकर आम लोगो की राय के बाद जो निष्कर्ष निकलकर सामने आ रहे है उन निष्कर्षो के आधार पर कोलारस के बाद हम बात कर रहे है कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले पिछोर विधानसभा की तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी गढ़ में भाजपा इस बार सेंध लगाने में कामयाव हो पायेगी या नहीं पिछोर विधानसभा के नेताओं से लेकर मतदाताओं की जो राय निकलकर सामने आ रही है वह इस प्रकार है।
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