भारतीय जनता पार्टी के मध्यप्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और विवादों को चोली-दामन का साथ है। हर बार नया विवाद देकर जाते हैं। पहले ब्राह्मणों और बनियों को अपनी जेब में बताया। अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए मंत्रियों को उनके मुंह पर विभीषण बोल दिया।
मध्यप्रदेश में दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी है। इसे लेकर अलग-अलग शहरों में पार्टियों के आयोजन हो रहे हैं भाजपा का ऐसा ही एक कार्यक्रम गुना में था, जहां मुरलीधर राव ने मजाक-मजाक में अपनी ही पार्टी के मंत्रियों के लिए फजीहत खड़ी कर दी। उन्होंने कहा कि हमारे पास सब विभीषण आ गए हैं और वहां बचा क्या है? अब रावण का अंत होना निश्चित है। उन्होंने गुना के प्रभारी मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का नाम भी लिया। दोनों मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं और उनके साथ ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे। इस बयान को सुनकर मंच पर उपस्थित नेता हंसने लगे। सिसोदिया ने तो हाथ जोड़कर यह भी कह दिया कि हम तो राम के सेवक हैं।
कांग्रेस ने कहा- मंत्रियों के स्वाभिमान को सलाम
कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि मुरलीधर राव ने मध्य प्रदेश शासन के दो मंत्री, जो दल बदलकर बीजेपी में शामिल हुए है, उनकी मौजूदगी में उन्हें विभीषण बताया है बीजेपी ने विभीषणों को तारीफ ताकित करते हुए तालियां बजाई है इसे क्या माना जाए? मैं गर्व से कहता हूं कि मैं कर्म से क्षत्रिय हूं यह दोनों ही मंत्रियों को जो दोनों क्षत्रिय जैसे गौरवमय समाज से आते हैं दोनों मंच पर मौजूद होकर राव के बयान पर अपनी मौन स्वीकृति देते हैं मैं दोनों ही मंत्रियों के स्वाभिमान को सलाम करता हूं राजनीति में कितने नीचे गिर सकते है उनके आका तो कहते थे कि उसूलों पर जहां आंच आए, टकराना जरूरी है और यदि आप जिंदा हो तो जिंदादिली को दिखाना चाहिए मैं इन मंत्रियों से कहना चाहूंगा कि अपने आका का अनुसरण क्यों नहीं कर रहे हैं।
हमेशा भटक जाती है मुरली की तान
मुरलीधर राव के पास जब भी माइक रहता है, वे कुछ न कुछ ऐसा बोल देते हैं कि विवाद खड़ा हो जाता है। इससे पहले उन्होंने भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बनियों और ब्राह्मणों को जेब में बता दिया था। खूब बवाल मचा था। उन्हें कुछ दिन तक हर मंच पर सफाई देनी पड़ रही थी कि उनके कहने का आशय क्या था। फिर उन्होंने ही इस मामले को संभाला भी था। इतना ही नहीं, इससे पहले भी वे कहते सुने गए थे कि लगातार चार-पांच बार से सांसद, विधायक बनना, लगातार प्रतिनिधित्व करना, यह जनता का दिया हुआ वरदान होता है। इसके बाद रोने के लिए कुछ नहीं होना चाहिए। ऐसे नेता अगर कहे कि उन्हें मौका नहीं मिला तो उनसे बड़ा नालायक कोई नहीं, उन्हें मौका मिलना भी नहीं चाहिए।
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