फ्रांस की युवती बनी मध्यप्रदेश की बहू, विदेशियों को खूब भाए मालवा के दाल-बाफले


फ्रांस की एक विदेशी युवती का दिल मध्यप्रदेश के एक लड़के पर आ गया। दोनों एक दूसरे के साथ प्रेम-बंधन में बंध चुके थे। इस रिश्ते को हमेशा के लिए बनाए रखने के लिए उन्होंने मध्यप्रदेश में ही हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार शादी कर ली है। अच्छी बात ये है कि उनकी शादी भी मध्यप्रदेश में हुई और खाने में विदेशी मेहमानों को भी मालवा का प्रसिद्ध भोजन दाल-बाफले कराया गया, जो उन्हें बहुत पसंद आया।


बता दें कि राजगढ़ जिले के कुरावर निवासी नीतेश इंजीनियरिंग के लिए कनाडा गए थे। वहां उनकी मुलाकात फ्रांस की रहने वाली ओरियन नामक युवती से हुई। दोनों की दोस्ती कुछ ही दिनों में प्यार में बदल गई। फिर क्या था, दोनों ने मध्यप्रदेश के सीहोर में शादी करने का फैसला लिया और एक दूसरे के साथ हमेशा के लिए शादी के बंधन में बंध गए।
विदेशी मेहमान भी आए...
इस शादी में कई विदेशी मेहमान भी आए, जिसमें विदेशी महिलाओं ने भारतीय परिधान यानी साडिय़ां ही पहनी। युवती ने भी शादी के दौरान भारतीय ड्रेस साड़ी और लहंगा चुन्नी पहनकर शादी की सभी रस्मों में शामिल हुई। चूंकि कुरावर में कोई बड़ा होटल नहीं है, इस कारण दोनों की शादी सीहोर जिले के एक बड़े होटल में ठाट बाट के साथ हुई। हालांकि, शादी से पहले कुरावर में ही हल्दी और मेहंदी की रस्मों के साथ ही अन्य रस्में हुई थी, महज रिसेप्शन और सात फेरे सीहोर की होटल में हुए हैं।

भोपाल में रूके सभी विदेशी मेहमान...
कुरावर में होने वाली शादी में शामिल होने के लिए फ्रांस से करीब दो दर्जन से अधिक मेहमान आए थे, जो भोपाल में स्थित होटल में रूके। ये शादी के दिन कुरावर पहुंचे और शादी के बाद वापस भोपाल लौट आए। उन्हें शादी में मालवा का भोजन दाल बाफले बहुत पसंद आया।

शादी में शामिल हुए विदेशी मेहमान

भारतीय संस्कृति से प्रभावित हुए विदेशी...
शादी के बाद ओरियन बहुत खुश है। उन्होंने बताया कि वो पहली बार इंडिया आई हैं। पंडित जी ने विदेशी बहू को सात वचन इंग्लिश में समझाए, ताकि वह हिंदू रीति-रिवाज को जान सके। ओरियन के पिता जीन क्लाउड और मां कोरीना ब्लोतीन ने भी नीतेश के बुजुर्ग रिश्तेदारों से कन्यादान की रस्म के बारे में जानकारी ली। उनका कहना है कि भारतीय संस्कृति एक महान संस्कृति का प्रतीक है। उन्हें खुशी है कि बेटी के साथ-साथ वे भी इस संस्कृति से जुड़ने जा रहे हैं। ओरियन के माता-पिता ने बताया, उनका परिवार भारतीय इतिहास किताबों को पढ़कर, टीवी पर देखकर, भारत के पौराणिक संस्थानों मंदिरों को देखकर यहां के संस्कृति से प्रभावित हुआ है।

हिंदू रीति-रिवाज से हुई शादी

नीतेश के पिता का कोरोना से हुआ था देहांत...
नीतेश के पिता सतीश कुमार और ताऊ रामबाबू गर्ग की पहचान धार्मिक और मिलनसार व्यक्तियों के रूप में थी। दोनों भाइयों ने मिलकर सतीश कुमार रामबाबू फार्म नाम से बड़ी औद्योगिक संस्था खड़ी की थी। साल 2021 में कोरोना से कुछ दिनों के अंतर से दोनों भाइयों का देहांत हो गया।

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