मध्यप्रदेश

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युवाओं के देश भारत में युवा ख़ोज पाना मुश्किल है



इस देश ने जितने युवाओं को शिक्षित कर लिया हैं उतना काम इस देश के पास नहीं हैं और हम जितने लोगों को शिक्षित कर रहे है भविष्य में उनके लिए भी कोई काम नहीं होगा। अब हिंदुस्तान के नवजवान को नए तरीके के काम खोजने पढ़ेगा, हज़ारों तरीके के नए काम खोजे जा सकते हैं। लेकिन आज का युवा पुराने दरवाजों पर ही दस्तक दे रहा है। छात्र राजनीति में काफ़ी समय से सक्रिय रहा हुं तो रोजाना कई छात्रों और अभियार्थियो से मिलना होता हैं। मिलने के बाद आश्चर्य भी होता है और पीढ़ा भी होती है जब दिखता हुं लड़के ने BTech किया है इंजियरिंग, BSC CS, Chemestry, CA, LL.B, MBA किया है और हस्ते हस्ते कहता है ही ही भईया पीएससी की तैयारी कर रहा हुं, एसएससी, पटवारी की तैयारी कर रहा हूं भर्ती ही नहीं आ रहीं हैं।

अगर आज कोई हिंदुस्तान का लड़का कहे की मैं बेरोजगार हु और एम्प्लॉयमेंट नहीं खोज पाता है तो समझ लेना उसकी शिक्षा ठीक नही हुई है। क्योंकि भारत जैसा देश जहा इतनी आवश्यकताए हैं समस्याए और संभावनाएं हैं अगर यहां रोजगार ना खोजा जा सके तो और कहीं खोजा नही जा सकता। लेकिन हमारे मन में ख़ोज का भाव नहीं है। 

हम वहीं पुराने तरीके से काम मांगे चले जा रहे है। अगर यूनिवर्सिटी और कॉलेज से निकला विद्यार्थी अपने गांव और शहरों में वहीं पुराना काम मांगे तो उन यूनिवर्सिटियो ने अपना काम ठीक से नही किया है ये आप समझ लीजिए। अगर विश्वविद्यालय से निकला हुआ छात्र भी वहीं पुराना काम मांग रहा हैं जो पुराने लोग मांग रहें थे जो इस यूनिवर्सिटी से पहले कभी नही निकले... फिर क्या मतलब ऐसी युनिवर्सिटी का ये खोखली है। 

आज भारत में आपार संभावनाएं है जैसे आज देश में फीट भर की ज़मीन करोड़ो में बिक रहीं है ज़मीने बची ही नही। आज चाहिए कि जमीन के अंदर घर कैसे बनाए जाए कैसे जमीन के अंदर रेल की पटरियां और फैक्ट्री लगाई जाए कैसे समुद्र में घर बनाया जा सके ताकि खेती के लिए ज़मीन बचाई जा सके। हम पीछले हजारों सालों से एक ही तरीके से घर बनाए जा रहे है क्या बीना इट के सीधी दिवाल बनाई जा सकती है भारत का इंजिनियर इस दिशा में सोच ही नहीं पा रहा है वो इंजीनियर अपनी डिग्रिया लिए दरख़्वास्त लगाए खड़ा है PWD के दफ्तर के बाहर। हिंदुस्तान का जवान अपने आप को जवान सिद्ध नहीं कर रहा हैं क्योंकि ज़वानी का पहला लक्षण है की वो मौलिक और नवीन खोजें करे लेकिन वो वहीं प्राचीन आउटडेटेड चीज़ों को लेकर बैठा है।

आज देश में कितने ही लोग केमेस्ट्री की पढ़ाई कर रहें हैं, पीएचडी कर रहें है लेकिन बड़ी हैरानी की बात है हिंदुस्तान में कैमेस्ट्री की पीएचडी लिए युवा किसी कॉलेज में नौकरी के लिए खड़ा हो जाता हैं। आज हिंदुस्तान को कितने बड़े बड़े रसायनिको की जरुरत हैं जो बिना ज़मीन के भोजन पैदा कर सकें। हम हमेशा से ज़मीन से भोजन नही पाते थे आज से पांच हज़ार साल पहले मनुष्य जानवरो को मार कर खाते थे, एक दिन जानवर कम हो गए और लोग बड़ गए तो कुछ जवानों ने ज़मीन में पड़े फल खाना शुरू किया, वो भी ख़त्म हुए तो उन्हें बोना शुरू किया और अब बोने के लिए ज़मीन ही कम पड़ गई। अब जरुरत है हिन्दुस्तान के रसायनिको को नए दिशा में खोज करने की आज आकाश से, सूर्य से, हवा से भोजन कैसे मिल पाए इस दिशा में खोज करनी चाहिए, कैसे सिंथेटिक फूड की ख़ोज करे जिससे उगाने, खाने और फिर पचाने की जगह एक एक गोली से ही सारे पोषक तत्व लिए जा सकते हो। लेकिन आज के नवजवान वहीं पुराने दरवाज़े खड़खड़ाए चले जाते है।

युवा होने का मतलब ही यहीं है की हम जीवन को नए रास्ते दे नए आयाम दे हम जिंदिगी को नए पहलु सुझाए हम समृद्धि की नई दिशाएं ढूंडे। लेकिन बच्चे ये नही कर रहे वो बसे जला रहें है, पटरियां उखाड़ रहें है, यूनिवर्सिटीयो के कांच तोड़ रहे है, शिक्षक पर पत्थर फेंक रहे हैं, वो घेराव कर रहे हैं, वे आरक्षण के लिए प्रदर्शन कर रहे है। ये सब ना केवल अन उद्पादक काम है बल्कि विध्वंसक भी इससे मुल्क का भविष्य भी खतरे में है इससे नुकसान हमारा हैं।

सारी दुनियां में बहुत कुछ नया हो रहा हैं जो कभी नही हुआ था ऐसे फल पैदा हो रहे है जो पहले कभी नहीं हुए थे ऐसा गेहूं, ऐसी फसल पैदा हो रही है जो पहले कभी नहीं हुई थी। लेकिन हमारे बच्चे केवल एग्रीकल्चर यूनिवर्टीज में परीक्षाएं दिए चले जाएंगे और ज्यादा से ज्यादा एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में क्लर्क बन जायेंगे? अगर एग्रिकल्चर कॉलेज ऐसे नौजवान ना पैदा कर सकें जो मुल्क को नया भोजन दे सकें, नई फसल दे सकें, ऐसे गेहूं के पौधे ना पैदा कर सकें जो साल में बिना काटे दो बार फसल दे सके तो फिर बहूत कठिनाई की बात है। आज दुनियां चांद पर पहुंच चुकी है और हम जमीन में लोगों का पेट ना भर सके तो हमारा सारा ज्ञान व्यर्थ है ये शिक्षा और यूनिवर्सिटीज बेकार हैं। 

 जवान आदमी का लक्षण है जहां पुरानी पीढ़ी ने छोड़ा था दुनिया को उसे आगे ले जाए। जो पुरानी समस्याएं है उन्हें हल करें लेकिन हम उन समस्याओं को हल करने में उत्सुक नहीं है । लेकिन सारे मुल्क के जवान कह रहें है हमारी समस्याओं को हल करो, कौन हल करेंगा? अगर यह उम्मीद हम पुरानी पीढ़ी से लगा रहे है तो हम गलत है ये सभी समस्याए हमें ही हल करनी है इस देश के युवा को लग जाना चाहिए इस देश की समस्याओं को दूर करने में।
 आज पूरी दुनियां में धन बरस रहा है पुरी दुनिया संपन्न हो रही है लेकिन भारत ही है जो आज भी दूसरे देशों से आश लगाए बैठा हुआ है। देश का युवा MBA करने के बाद दस हज़ार की नौकरी से ही संतुष्ट बैठा हैं, ग्लास की जगह चुक्कड़ में चाय बेचने को ही हम एंटरप्रेन्योरशिप में क्रांति मान बैठे है, फिर ऐसे में हम क्या ही भारत को विश्वगुरु को बनाने का स्वप्न देख रहे है। 

    आज जो बलात्कार बड़ रहे है, गरीबी बड़ रही है, धर्म के नाम पर कचड़ा परोसा जा रहा है, शिक्षा संस्थानों का शिक्षाविदों का और शिक्षा का जो हश्र हो रहा है ये सभी बातो का हल आज के युवाओं को ही करना है।
 वास्तव में आज सारे कॉलेज और यूनिवर्टीज़ ख़ाली पड़े है कॉलेज केवल डिग्रियो की दुकानें बनी है जहा लड़के फ़ीस देकर डिग्रिया ख़रीद रहें है, कॉलेज केवल परीक्षा के लिए है छात्र और शिक्षक दोनो को शिक्षा से कोई मतलब नहीं है। आज हमारे प्रशन और विर्मश बदल गए हैं। आज हिंदुस्तान के सामने कितनी ही समस्याएं है कितने ही बड़े प्रश्न है लेकिन हमरा सबसे बडा विमर्श ये है कि दीपिका की बिकनी कौन से रंग की थी, राहुल गांधी को ठंड क्यों नही लग रही है, पटवारी की भर्तीया क्यों नही आ रही है, मेरे फॉलोअर्स कितने है, देश के बहुत बड़े बड़े प्रशन है जिनका हल निकालने का जिम्मा हमने ठंडे बस्ते में डाल दिया हैं।

   देश में आज युवा चित्त ढूंढ पाना मुस्किल है या यूं कहें कि युवा पैदा ही नहीं हो रहें है वो पैदा होते है बचपन होता है और फिर बुढ़ापा आ जाता है। युवा आदमी का सबसे बड़ा लक्षण है भविष्य के प्रति उन्मुक्ता लेकिन जिस आदमी के अंदर भविष्य की कल्पना ही ना हो ओर अतीत का ही गुणगान हो उसकी उम्र जो भी हो वो बूढ़ा है।
      आज देश में जो उम्र से युवा है, उनहे मानसिक यौवन पैदा करने की देश में चेष्टा करने में लग जाना चाहिए केवल शरीर के यौवन से संतुष्ट ना हो बल्की स्प्रिचुअल यंगनेस आध्यात्मिक यौवन पैदा करने का आंदोलन सारे देश में चलना चाहिए। एक युवा चित्त, नए विचार, नए अविष्कार, जो नही जाना जा सका है उसके प्रति जिज्ञासा, जो नही किया जा सकता है उसे करने की चाह और सबसे ज़रूरी नौकरी के लिए सरकार की लगी हुई आशा से मुक्ति।

अगर बातें समझ में आई हो तो इस पर चिंतन ज़रूर करे अपने युवा मित्रों को साझा करे और यौवन चित्त को पैदा करने में लग जाए।
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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