Guna - अपने-अपने स्वाभाविक कर्मों में तत्परता से लगा हुआ मनुष्य भी भगवत प्राप्ति कर सकता है।उस परमेश्वर की अपने स्वाभाविक कर्मों द्वारा पूजा करके अर्थात परमेश्वर को ही सर्वस्व समझकर परमेश्वर का चिंतन करते हुए परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार मन, वाणी और शरीर से परमेश्वर के ही लिए स्वाभाविक कर्तव्य कर्म का आचरण करना 'कर्म द्वारा परमेश्वर को पूजना' है।स्वभाव से नियत किए हुए स्वधर्मरूप कर्म को करता हुआ मनुष्य पाप को नहीं प्राप्त होता इसलिए भगवान ने अच्छी प्रकार आचरण किए हुए दूसरे के धर्म से गुण रहित होते हुए भी स्वधर्म को श्रेष्ठ बताया है। स्पष्ट है कि जब गीता सुनाई गई तब धर्म केवल धर्म ही था परन्तु अब लोग मत-मान्यताओ में उलझी साम्प्रदायिक विचाारधारा को ही धर्म समझ कर भ्रमित हो रहे है ।
उक्त आशय के विचाार
विगत रविवार को साइं सिटी कॉलोनी में भागवत वाचक पं अमित भार्गव के निवास पर आयोजित गीता स्वाध्याय में गीता के अट्ठारहवे अध्याय के निर्धारित श्लोकों के संदर्भ में पं ओमप्रकाश पाराशर, पं मनोज शर्मा आदि ने व्यक्त किए।
इस अवसर पर बूढेबालाजी समीपस्थ कालोनियों से सम्बंधित गीता क्षेत्र कपिध्वज पुरम के उप-स्वाध्याय मण्डल का पुनः गठन हुआ जिसमें उपमंडल संयोजक पं इन्द्र कुमार भार्गव , उपवित्त प्रमुख पं सुरेश भार्गव सहित ,रामसिंह सिकरवार, अमित भार्गव, दीपक भार्गव, दिनेश शर्मा को केंद्रीय सहसचिव सुधीर सक्सेना और
जिला संयोजक अंकित पाण्डेय ने स्वाध्याय पत्रक प्रदान कर गीता कपिध्वज पुरम में प्रति शनिवार साईसिटी कालोनी के शिवमंदिर पर स्वाध्याय होना निश्चित किया गया।
उल्लेखनीय है कि विश्वगीताप्रतिष्ठानम् द्वारा गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर नगर के पंचमुखी धाम से आरंभ कर नगर के विभिन्न स्थानों को पवित्र करते हुए गीता स्वाध्याय
स्वाध्याय की शृंखला प्रतिवर्षानुसार श्री टेकरी धाम पर पूर्ण होता है । इस क्रम में आगामी रविवार 15 जनवरी को यह आयोजन श्री टेकरी धाम पर दोपहर तीन बजे से आरंभ होगा । पूर्णाहुति गीता स्वाध्याय सत्संग के प्रायोजक यजमान श्री हनुमान जी महाराज एवं भक्त मण्डल प्रतिनिधी के रुप में श्री गुलशन जुनेजा और श्री भगवान दास बैरागी ने श्री गीता जी की गरिमामय आगवानी करते हुए समस्त धर्म प्रेमी जनों से गीता स्वाध्याय के आयोजन में सहभागिता करने का अनुरोध किया है।
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