मध्यप्रदेश

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रिजल्ट की देरी में विद्यार्थियों का दोष नहीं, HC ने MPMSU से कहा- प्रीपीजी परीक्षा में करें शामिल



मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (MPMSU) को तीन याचिकाकर्ता डॉक्टरों को प्रीपीजी परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई की। युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।


दरअसल, मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने देरी से रिजल्ट जारी किया था। इस कारण प्रीपीजी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाने को चुनौती देते हुए विद्यार्थियों द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 
इंदौर निवासी श्रेया जैन व अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी द्वारा मई 2022 में आयोजित एमबीबीएस अंतिम वर्ष की परीक्षा में वे शामिल हुए थे। उसका रिजल्ट यूनिवर्सिटी द्वारा 25 जुलाई 2022 में जारी किया गया था। रिजल्ट आने के बाद उन्हें एक साल की इंटर्नशिप करनी थी, जो 25 जुलाई 2023 को पूर्ण होगी।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि एनएमसी तथा केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार नीट की प्रीपीजी परीक्षा के लिए इंटर्नशिप 30 जून से पहले पूर्ण करना आवश्यक है। यूनिवर्सिटी द्वारा देर से रिजल्ट जारी करने के कारण याचिकाकर्ता को खामिजाया भुगतना पड़ रहा है। 

याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत प्रदान की। युगलपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, नेशनल मेडिकल कमीशन, नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंस तथा मेडिकल यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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Milan Tomic

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