मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की कार्रवाई लगातार जारी है इसके बावजूद सरकारी महकमे में रिश्वतखोरी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं ताजा मामला सतना जिले के रामपुर बाघेलान तहसील कार्यालय से सामने आया है, जहां रीवा लोकायुक्त की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नायब तहसीलदार को उनके ही कार्यालय में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है लोकायुक्त टीम ने रामपुर बाघेलान तहसील में पदस्थ नायब तहसीलदार वीरेंद्र सिंह जायसूर को उस समय पकड़ा, जब वे अपनी कुर्सी पर बैठकर फरियादी से 10 हजार रुपये की रिश्वत ले रहे थे। अचानक हुई इस कार्रवाई से तहसील कार्यालय में अफरा-तफरी मच गई।
पुश्तैनी जमीन के बंटवारे और नामांतरण का था मामला
जानकारी के अनुसार यह पूरा मामला पुश्तैनी जमीन के बंटवारे और नामांतरण आदेश से जुड़ा हुआ है फरियादी आशुतोष सिंह के पिता चंद्रशेखर सिंह के नाम पर दर्ज जमीन के बंटवारे का आदेश तहसील स्तर पर लंबित था फरियादी का आरोप है कि नायब तहसीलदार ने इस फाइल को पास करने के एवज में 20 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी।
15 दिसंबर को की गई थी लोकायुक्त में शिकायत
रिश्वत से परेशान होकर फरियादी आशुतोष सिंह ने 15 दिसंबर को रीवा लोकायुक्त कार्यालय में इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की सत्यापन के दौरान रिश्वत मांगने की पुष्टि हो गई हैरानी की बात यह रही कि सत्यापन के दौरान ही आरोपी नायब तहसीलदार ने पहली किस्त के तौर पर 10 हजार रुपये ले लिए थे, जिसके बाद लोकायुक्त ने ट्रैप की पूरी योजना तैयार की।
बाकी रकम लेते ही दबोचा गया अधिकारी
गुरुवार को योजना के मुताबिक फरियादी शेष बचे 10 हजार रुपये लेकर रामपुर बाघेलान तहसील कार्यालय पहुंचा जैसे ही नायब तहसीलदार ने फरियादी से पैसे अपने हाथ में लिए, वहां पहले से सिविल ड्रेस में मौजूद लोकायुक्त टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया कार्रवाई के दौरान लोकायुक्त अधिकारियों ने आरोपी के हाथ धुलवाकर केमिकल टेस्ट कराया, जिसमें रिश्वत लेने की पुष्टि हुई।