शिवपुरी में कांग्रेस से टिकिट मांगना क्या वली के बकरे के समान होगा ?

शिवपुरी-शिवपुरी विधानसभा महल के प्रभाव बाली विधानसभा मानी जाती है यहां महल से जब भी कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरा है उसे शिवपुरी की जनता ने जिता कर विधानसभा में भेजा है शिवपुरी विधानसभा से बर्तमान विधायक यशोधरा राजे सिंधिया पुन: चुनाव मैदान में उतरने का मन बना चुकी है। यशोधरा राजे सिंधिया महल का प्रतिनिधित्व करने के साथ साथ महल की सम्मानीय एवं बरिष्ठ सदस्य भी है। महल का पूरा झुकाव अभी तक यशोधरा राजे सिंधिया के साथ रहा है और जब तक वह चुनाव मैदान में रहेगी तब तक महल से लेकर महल से जुडे भाजपा एवं विपक्षी दलो के लोगो का भी झुकाव महल से जुडे होने के कारण यशोधरा राजे सिंधिया के साथ रहेगा यह भी तय है। जब भाजपा से लेकर विपक्षी दलो के महल से जुडे कार्यकर्ताओ का झुकाव महल का प्रतिनिधित्व करने बाली यशोधरा राजे सिंधिया के साथ रहने बाला है उसके ऊपर से बसपा का प्रत्याशी चुनाव मैदान में होने के कारण एस सी एवं मुस्लिम वोट का झुकाव जब बसपा के साथ रह सकता है फिर भला ऐसे हालातो में कांग्रेस से टिकिट मांगने बाले कार्यकर्ताओ को टिकिट मांगने से पहले चुनाव के परिणामो पर भी नजर एक बार अवश्य डाल लेना चाहिये क्यो कि राजनीति हमेशा यही सीख देती है कि साम, दाम, दण्ड, भेद जैसे भी हो जीत मिले। जबकि शिवपुरी में हालात कुछ विपरीत ही नजर आ रहे है यहां भाजपा तो भाजपा दूसरे दलो से जुडे महल के लोग ही जब विपक्ष के उम्मीदवार के साथ खडे नही होंगे तब तक विपक्ष का प्रत्याशी भला चुनाव में फतेह कहां से पा पायेगा। ऐसे हालातो में हम एक ही बात कह सकते है कि विपक्षी दल कांग्रेस से टिकिट मांगने बाले यदि वली का बकरा बनने तैयार है जिसमें शुद्घ रूप में वली समय एवं धन के साथ में मानसिक वेदना के रूप में लगने बाली है क्यो कि विपक्षी महल से जुडे लोगो का झुकाव महल के साथ होने तथा बसपा से मुस्लिम जाति का प्रत्याशी होने के कारण एस सी एवं कांग्रेस का मुस्लिम बोट जब बसपा के साथ जा सकता है तो भला ऐसी स्थिति में कांग्र्रेस प्रत्याशी कार्यकर्ताओ से लेकर मुख्य जनाधार बाले अल्प संख्यक वोट के विभाजित होने से वली का बकरा के समान ही दिखाई देता है। 

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